शनिवार, 7 नवंबर 2015

शब्द एक रास्ता है


शब्द एक रास्ता है
शब्द एक रास्ता है
मेरा विश्वास है
यह सोचकर मैंने उसे पुकारा
पर उधर से कोई उत्तर नहीं मिला
मैंने फिर सोचा

शब्द एक रास्ता है
और शब्दों को कागज पर उतार कर
एक जहाज बनाया
उसे उड़ा दिया
तुम्हारे मनदेश में
पर पता नहीं कहां लैंड किया वह


मैंने फिर दोहराया
शब्द एक रास्ता है
फिर से उसे कागज पर उतारा
और भावनाओं के सागर में उतार कर  कश्ती बना कर छोड़ दिया
घूमता रहा  वह ना जाने कौन - कौन कौन से द्वीप 


पर मेरा विश्वास टूटा नहीं
 मैेंने शब्दों को प्राथनाओं में पिरोया
समर्पण से उसका अभिषेक किया
अब वे मंत्र बन गए
देखो  चट्टान से झरना फूटा
बन गया सागर पर पुल
मैंने कहा था ना
शब्द एक रास्ता है
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