बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

दक्षिणी पेसिफिक में हिंदी सिनेमा- ये रोहित कौन है ?


हाल ही में फीजी फिल्म फेस्टिवल हुआ । दर्शकों की भारी भीड़ थी । राष्ट्रपति स्वयं उद्घाटन करने आए थे फेस्टिवल में भारतीय फिल्मों का एक वर्ग था। फिल्म समारोह का उद्घाटन फीजी के राष्ट्रपति ने किया । भारी भीड़ थी । ये लोग समारोह की फिल्में देखनें में रूचि रखते ही थे । परंतु भीड़ का मुख्य कारण था सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान का प्रीमीयर। भारतीय फिल्मों के अन्य सितारों की तरह सलमान यहां भी बहुत लोकप्रिय हैं ।  समारोह से पहले जलपान पर चर्चा हो रही थी। राष्ट्रपति महोदय से भारतीय फिल्मों की बात हुई। उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्में  पैसीफिक में  लोकप्रिय हैं और वे इसलिए लोकप्रिय हैं क्योंकि उन्हें समूचा परिवार बैठकर इक्ट्ठा देख सकता है।  पारिवारिक मूल्य , जड़ों से जुड़ाव, रिश्तों का महत्व, संगीत, नृत्य की बीट  ये सब ऐसी चीजे हैं जिनके कारण बालिवुड फिल्में  फीजी में बहुत लोकप्रिय हैं।
लेकिन यह स्थिति सिर्फ फीजी में नहीं है । पूरे दक्षिण प्रशात में यही स्थिति है। अभी हाल में ही मै किरीबास किया । किरीबास में भारतीय नहीं है । कोई दस -बीस होंगे । मेरे साथ फीजी मेेंं भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक श्री कृष्ण लाल कनौजिया भी थे। हम लोग समुद्र तट पर फोटो खींच रहे थे। इतने में एक साईकल पर कुछ लड़के आए । हमने सोचा साईकल पर बैठने से फोटो मे कुछ विचित्रता आएगी । हम लोग साईकल पर बैठकर फोटो खिचवा रहे थे कि पीछे से आवाज आई - राहुल और रोहित । सभी हंस पड़े । हम दोनो रोहित और राहुल को नहीं जानते थे। हम लोग जिस होटल में रूके थे वहां से वापसी पर होटल स्टाफ  से वापस जाते हुए बात हुई। उसने कहा कि यहां हम सब बालिवुड की फिल्में खूब देखते हैं। उनके गाने और डास बहुत पसंद आते हैं। किरीबास में ए.एन.जेड बैंक की तरफ से आईडोल कंपीटिशन होता है। उसमें दूसरा स्थान प्राप्त करने वाला लड़का पहले पुजांस ( भारतीय मूल के भारतीयों का व्यापारिक संस्थान में काम करता था । उसका एक ही शौक था हिंदी फिल्मों के गाने गाना। उसके मंच पर लटकों - झटकों में सब शाहरूख खान की झलक थी।  मंच पर आकर उसने गाना गाया - गोरों की ना कालों की  , दुनिया है दिलवालों की । लोग थिरकने लगे। उसी प्रकार वहां की एक युवा लड़की से बात करने पर उसने कहा कि हमारे घरवाले हमें हालीवुड फिल्मे देखने की अनुमति नहीं देते चूंकि उसमें किस सीन बहुत होते हैं। वह इशारों में अपनी बात कह रही थी। परंतु उसने शिकायत की अब भारतीय फिल्मों विशेषकर गानों में बहुत अश्वीलता आने लगी है। उसने वालीवुड फिल्मों के लोकप्रिय होने की वजह बतायी  कि हालीवुड की फिल्मो में इतना एक्शन , इतनी हत्याएं और इतना सैक्स होता है कि यहां के लोग हिंदी फिल्मे पसंद करते हैं। 
किरीबास में बालुवुड के चाहने वालों के लिए एक रोचक कहानी भी है - यह कहानी वहां बहुत प्रचलित है। 90 के दशक में बालीवुड वहां बहुत लोकप्रिय था। दो युवा- एक लड़का और एक लड़की सार्वजनिक  कार्यक्रमों में नृत्य करते थे । लोग उनका नृत्य बहुत पसंद करते थे । उन्हें कार्यक्रमों में खूब बुलाया जाते । दोनों बहुत सुंदर थे और नृत्य तो उनका अद्भुत था। पर किरीबास एक पारंपरिक समाज है। शायद उनका प्रेम परवान नहीं चढ़ पाया । दोनों की मृत्यु हो गयी । वो आत्महत्या थी या प्राकृतिक मौत । ज्यादातर लोग नहीं जानते । किरीबास छोटा सा द्वीप है सब ने उनकी अनुपस्थिति को महसूस किया ।  लोगों ने उसका संबंध उनके भावुक होने से जोड़ा और भावुक होने को बालीवुड फिल्मों से फिर काफी वर्षों तक वहां के माता-पिता अपने बच्चों को बालीवुड फिल्में दिखाने से डरते रहे। 
अब सवाल है कि कौन सी फिल्में पसंद करते हैं यहां  के लोग । होटल में फिर हमने ये सवाल किया । सबसे लोकप्रिय फिल्में थी कुच कुच होता ( कुछ कुछ होता है) कहो ना प्यार है । गाने आप अनुमान करें - नहीं कर पाएगे । आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे , या  जिमी जिमी आजा आजा  - इन गानों में कुछ खास बात है, जो कई दशकोें के बाद भी लोकप्रिय है। लेकिन रोहित वाली पहेली का अभी भी समाधान नही हुआ ना । मुझे भी नहीं पता था। मै  भी बहुत फिल्में नहीं देखता । मेरा अनुमान शाहरूख खान था । मुझे पता नहीं चला । एक बार कार मे किरीबास के विदेश मंत्रालय की प्रोटोकाल आफिसर से बात कर रहा था, हिंदी फिल्मो के बारे मे । वह कुछ रूचि लेकर कुछ  अनमने ढंग से उत्तर दे रही थी। इतने में मैने रोहित का जिक्र किया । उसकी प्रतिक्रिया ठहाके के साथ बड़ी भावपूर्ण  थी। आंखों में रोहित के लिए असीम लगाव। तो फिर रोहित कौन है । जी हां -ये रोहित है , 'कोई मिल गया' के रितिक रोशन । जिनकी सुंदर देह यष्टि , अद्भुत नृत्य . अभिनय और अदा भारत से हजारों किलोमीटर दूर इतनी लोकप्रिय हैं कि वह वहां सबसे लोकप्रिय भारतीय है। 
फीजी में हिंदी फिल्में 1930  के दशक से लोकप्रिय हैं। तब से गांव के छोटे - छोटे झोंपड़ों में राधा - कृष्ण, राम और शिव के साथ धर्मैन्द्र, देवानंद और दिलीप कुमार के फोटो लगते थे। फिर अमिताभ बच्चन का युग आया और अब तो खान बंधुओं की बारी है । चालीस - पचास के दशक से नाम रखने में हिंदी फिल्मी सितारे पहली पसंद होते थे। 
वहां के राष्ट्रपति भारत के हाई कमिश्नर के किरीबास आगमन पर विशेष रूप से प्रसन्न थे । उन्होंने दोपहर को औपचारिक पद ग्रहण ( एक्रीडेशन ) के बाद शाम को स्वतंत्रता दिवस समारोह में आने का निमंत्रण दिया । कहा शाम को आपके लिए एक सस्पेंस है। शाम के समय पूरे किरीबास के महत्वपूर्ण लोगों और राजदूतों और अन्य विशिष्ट अतिथियों के सामने वह सस्पेंस खुला । इस स्वतंत्रता दिवस समारोह में उन्होंने विशेष रूप से बालीवुड के एक डांस ग्रुप की प्रस्तुति तैयार की थी। सभी लोगों ने कार्यक्रम का बहुत आनंद लिया।
 फीजी में हिंदी फिल्में 1930  के दशक से लोकप्रिय हैं। तब से गांव के छोटे - छोटे झोंपड़ों में राधा - कृष्ण, राम और शिव के साथ धर्मैन्द्र, देवानंद और दिलीप कुमार के फोटो लगते थे। फिर अमिताभ बच्चन का युग आया और अब तो खान स्टारों की बारी है । चालीस - पचास के दशक से नाम रखने में हिंदी फिल्मी सितारे पहली पसंद हेोते थे । पुराने समय में हिंदी फिल्म देखना गांव वालों के लिए उत्सव की तरह होता था। पूरा परिवार तैयार होकर देखने जाता था। फिल्में केवल फीजीवासियों को हिंदी से नहीं जोड़ती बल्कि भारत से जोड़ती है। उनका रहन - सहन, सोच, जीवन शैली उससे प्रभावित होती है । डायसपोरा निर्माण में बालीवुड की भूमिका का ठीक मूल्यांकन आवश्यक है। फीजी और दक्षिण प्रशांत को भारत से जोड़े रखने में वालीवुड की महत्वपूर्ण भूमिका है। 

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