रविवार, 10 मई 2020

माँ के हाथ का खाना







माँ के हाथ का खाना 
अनिल जोशी
anilhindi@gmail.com


बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती है तुम्हारी मांँ
कहा एक मित्र ने 

पूछ कर आना उनसे 
कौन से  मसाले डालती हैं वो
हँस पड़ी माँ 
स्वादिष्ट खाना क्या सिर्फ मसालों से बनता है?

कौन सा घी इस्तेमाल करते हो तुम
पूछा - दूसरे मित्र ने
खाने में तरलता क्या घी से आती है?
एक प्रश्न मष्तिष्क में कौंधा 

इसमें कोई खास बात नहीं 
अगर हमारे पास समय हो तो
हम भी बना दें 
इतना ही स्वादिष्ट खाना 
जवान लड़की ने कहा
क्या सिर्फ समय होने से बन जाता है 
खाना स्वादिष्ट? 

नहीं ,
कुछ ना कुछ अद्भुत जरूर है मां के पास
तभी तो 
करेले में भी  आ जाती है मिठास 

माँ को बहुत अच्छा लगता है
गर्म -गर्म खाना बनाना और अपने सामने बैठ कर खिलाना
गुब्बारे से फूल जाती है रोटी
मचल उठता है बच्चा 
पहले मैं लूँगा

फूल सी महक आती है उसमें
तैरता रहता है स्नेह का घी
सब्जी जीभ स े लगते ही
संपूर्ण जिस्म बन जाता है 
जीभ
जबडो़ं में नही ंघूमता रहता है ग्रास 
सीधा हलक में उतर जाता है
तुप्त हो जाती है आत्मा 

मां देखती रहती है , ुमुस्कराती रहती है
कभी -कभी आंसू छलक जाते हैं उसके

सोचता हूँ 
किसी माँ के हाथ का खाना खाकर ही 
ऋषियों ने कहा होगा 
अन्न ही ब्रह्म है

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