शुक्रवार, 8 मई 2020

बोतल पार्टी का घोषणा पत्र



बोतल पार्टी का घोषणा पत्र








देश इतने दिनों से लॉकडाऊन में था। ऊंघता हुआ.., डरा हुआ.., सोता हुआ .., सोचता हुआ..। लॉक़डाऊन खत्म हुआ तो देश की जान में जान आयी। लोग डरे हुए थे।  किस से …? कोरोना से.. ? कोरोना चमगादड़ से कौन डरता है। जिस दिन मरना है तो मर जाएंगे। पर यह जो कुत्ते की मौत मारा जा रहा है.. ना मौसी। यह सही नहीं है।  यह लानतें सही नहीं जाती । करोडों लोगों की हालत केश्टो मुखर्जी जैसी हो रही है। जीभ सूख गयी है।  होंठ ऐंठ गए हैं। बहुत से अर्थशाश्त्री लॉकडाउन के बारे में कह रहे हैं कि अगर वह चलता रहा तो हजारों लोग भूख से मर जाएंगे। पर मैं कसम खाकर  कहे देता  हूँ - मौसी कि अगर लॉकडाउन कुछ दिन और चलता रहा तो यहां शराब की वजह से मरने वालों की लाशें बिछ जाएँगी और जिम्मेदार सरकार होगी और यह ढोंगी समाज होगा। आई हेट दीस स्क्राऊ़डल्स हाइपोक्रेट इकनामिस्ट  एंड समाज। 
अाखिर  कोई हद होती है । हम देशभक्त है। सरकार हमारे पैसे से चलती है। यह कोई हमसे प्रेम था जो शराब बंदी हटा दी। शराब के दाम बढा दिए । पांच , दस , पच्चीस , नहीं सत्तर प्रतिशत । सालो …वह भी ले लो। खून पी लो ..जनता का । पर हम देशभक्त हैं। देशभक्त हैं.. हम। पैट्रोयिट…।  आई लव माई कंट्री।  देश के लिए अपनी जान भी दे सकते हैं यह चंद पैसे तो क्या चीज है ! जो पीते नहीं है , पूछो, मैं कहता हूँ पूछो उनसे … कितना चंदा दिया   पीएम केयर फंड में। सरकार ने एक -आध दिन की तनख्वाह जबर्दस्ती काट ली तो काट ली । एक हम हैं , रोज देते हैं। सुबह -शाम देते हैं। पैसा भी देते हैं । अपने जिगर का खून भी देते हैं।  जियो सरकार — जियो । जियो मुख्यमंत्री  जियो .. जियो प्रधानमंत्री  जियो । चीन साला क्या बिगाडे़गा । पाकिस्तान क्या बिगाड़ेगा। जब तक अपन हैं चिंता मत करो।  देश के लिए पीते रहेंगे। लीवर खराब हो जाएगा फिर भी पीते रहेंगे।  जैसे देशभक्ति हमारा धर्म है। वैसे ही पीना हमारा धर्म है। हम धर्म से नहीं गिरते । हम सडकों पर.. गिरते हैं।  नालियों में.. गिरते हैं। पर अपने धर्म से, देशभक्ति से, हम कभी नहीं गिरते। वी लव इंडिया..।
हमें पता चला कि ठेके खुल गए हैं। अब लोग कहते हैं रेड जोन , ओरेंज जोन , ग्रीन जोन। इन्हें क्या पता हमारी जोन अलग है। ह हमारी कोई जोन नहीं हैं। हमारी कोई जाति नहीं है। हमारा कोई मजहब नहीं है। मंदिर मस्जिद बैर कराते , मेल कराती मधुशाला। अरे सही बोलते हैं । लतीफ , रमेश , आसिफ, मुन्ना सब एक ही ठेके का अद्धा पीते हैं। पर जब नेता लोग आते हैं तो छुरे निकाल लेते हैं। 

लॉकडाउन खुला ।  हम सुबह पांच बजे जाकर लग गए लाइन में देश के लिए । हम रूक सकते थे और कुछ दिन । पर हमने कहा कि देश कंगला हो रहा है। पूछो मुख्यमंत्री जी से । मैं कहता हूँ पूछो ..  यही तो कहा  उन्होंने । हमने पत्नी को पता भी नहीं लगने दिया। हम देश के लिए मर मिटने वाले हैं। उसने हमारे त्याग को हमेशा नीची नजरों से देखा है। खैर.. एक दिन वह मुझे पहचानेगी। जब देर हो चुकी होगी। कम से कम मेरी फोटो पर तो ढंग से माला चढाएगी। सरकार और पुलिस को पता नहीं था कि हमारे अंदर इतना जज्बा है। उन्हें हमारे देश के लिए प्यार का अंदाजा नहीं था। वी लव इंडिया।  देशभक्त उमड़ पड़े पांच बजे से । अपनी बाजी लगा दी। अब इतने लोगों में गोल घेरे किसको दिखते हैं। दिख रही थी लाल… लाल बोतल. । दिख रहा था सुरूर.. । आज इतने दिन बाद खुशी का दिन आने वाला था । नदिया से दरिया, दरिया से सागर , सागर से गहरा जाम ,,, । आप हमें मार लो डंडे। मारो , हमारी जान ले लो ।  जान ले लो पुलिस ़डार्लिंग । पर हम गाँधी जी के नाम पर पीते हैं। यह हमारा सत्याग्रह है    हम देश के लिए अपनी जान दे देंगे पर पीछे नहीं हटेंगे। 

आपको क्या पता इस कोरोना में हमें कितने आँसू के घूंट पीए। एक -दो दिन  जैसे तैसे रोके रखा  । खुद ही राशन बांध लिया । छोटे -छोट पैग लेते थे। हाय कैसे दिन आए। मुहँ से कम आँखों से ज्यादा पीते  थे।  जैसे -तैसे हफ्ता बीत गया। लोगो को प्रवासी मजदूरों की पड़ी है कि वे लॉकडाउन में नहीं निकल पाए पर हमारे बारे में नहीं सोच रहे । असली धोखा तो हमारे साथ हुआ । रातों- रात ठेके बंद।   जैसे हजार के नोट बंद हुए थे। थोडे दिन पानी डाल -डाल कर पी । फिर साला मन को कितना समझाते । आखिर में खाली पानी ही रह गया। अंदर से नसें फटने लगती। आंखे जलने लगी। दिल उबलने लगा। घर तिहाड़ में तब्दील हो गया। गाली देते तो बेलन मारती  अंग्रेजों के जमाने की जेलर । 

आखिर क्या नहीं किया हमने देश के लिए । और देश.. । हमारा साला इतना भी ख्याल नहीं।  । बार -बार खाली बोतल की तरफ भागते । घरवाले हंसते  । पड़ोसियों से कितना मांगते । उनकी खुद जान निकली जा रही थी। पत्नी से कितना लड़ते.. । अगर पता चल जाता मोहल्ले में किसी के पास है तो वह फोन कर देती और कहलवा देती भाई साहब यह कई दिन से पीए जा रहे हैं , इन्हें बिल्कुल मत देना। यु नो मिस्टर । हिंदुस्तान का इतिहास पढ़  लो।  हिंदूस्तान घरवालों , नहीं.. नहीं घरवालियों की वजह स ेहारा है। इन्होंने कभी राइट टाइम पर सपोर्ट नही ं किया। हमने पी -पीकर इस ज्वालामुखी को चन्द्र मुखी समझा। आप क्या जानो अगर शराब ना होती तो जैसी जलालत भरी जिंदगी दी है एक दिन भी  सही जाती। रोज लड़ती हैं। आँखे दिखाती हैं । ताने मारती हैं। पर हम एक घूंट पीकर सब भू….ला देते हैं मौसी। आई हेट दीस वाईव्स .. नो नो . सारी सारी। 

कब से हमारे देश में बातचीत में कहा जाता है। उसकी दवा - दारू की व्यवस्था करो। कभी किसी राजनीतिक पार्टी ने दूसरी बात पर ध्यान ही नहीं दिया। कितनी जरूरी बात थी ।  खुद रात को अँधेरे में पीते थे और सुूबह हम पर कभी बैन लगाने , दाम बढ़ाने , कैद करने जैसी बातें करते हैं। हमारा कसूर यह है कि हम ढोंगी समाज में हैं। खुद पीते हैं और पीने वालों को गरियाते हैं । आई हैट दीस स्काऊंड्रल्स हाईपोक्रेट नेता पार्टी । 

एक बात और, हमें लगता है जनता से जरूरी चीजें छुपाई जाती हैं। कोरोना की शुरूआत में ही पता चल गया था कि जो पीएगा वह जिएगा। कोरोना उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती । पर यह खबर छुपाई गई। क्या वैक्सीन बनाने पर लगे हुए हो! जरा शराब पर रिसर्च करते तो पता चलता कि दो पैग वैक्सीन की भी बाप है ! फिर क्या कोरोना , काहे का रोना। नहीं मानते ! क्या आपने भैंस के साथ इश्क करते किसी को देखा है?  क्या आपने किसी को उछल-उछल कर आसमान पर थूकते देखा है ?  क्या आपने देखा नहीं दो घूंट जाते ही पिद्दी भी पड़ोस के पहलवान को गालियां दे दे कर बाहर आऩे और जान लेने की धौंस देता है। क्या आपने देखा है कि अंग्रेजी बोलने में जो हिचक कई किताबें पढ़ कर नहीं जाती , वह दो घूंट चखते ही चली जाती है। आप दो घूंट पिलाते फिर हमें चाहे वुहान भेज देते।  जड़ से खत्म हो जाती प्राब्लम । एक बोतल में तो हम चीन की दीवार पर चढ़ जाते।  पर दुख की बात है ढंग के रिसर्च होते कहां हैं ! आई हैट दीस स्काऊंड्रल्स हाईपोक्रेट प्रोफेसर। 


हमने ए  दुनिया तुझ से क्या मांगा। हाथी , घोड़ा , कार , कोठी  कुछ नहीं । सिर्फ सुकून , सिर्फ सुरूर , सिर्फ दो बूंद शांति की सुरूर की । पर यह मीडिया सब दारूबाज , हरामी । बिना पिए लिखते नहीं । दो बोतल दो ,नमकीन दो जो मर्जी लिखवा लो। हमें दौड़वा दौड़वा कर पिटवा रहे हैं। आई हैट दीस स्काऊंड्रल्स हाईपोक्रेट मीडिया।
पुलिस हमें ड़ंडे मार कर अपनी इमेज सुधार रही है। दो दिन में तुम्हारी दुकानदारी बंद हो जाए अगर हम वोट बंद कर दें तो। सोच लिया है । कतई सोच लिया है कि शराब पार्टी बनाएंगे।सरकार ने लॉकडाउन में क्या किया। क्या राहत का सामान बंटवाया। हमें कोई राहत नहीं मिली । ना , बिल्कुल ना। कम से कम सौ सेंटीलीटर ही भिजवाते ।। लानत है ऐसे नेताओं पर। 
 उसका चुनाव चिन्ह होगा बोतल। 

ऐसा नहीं कि नेता लोग नहीं जानते शराब की ताकत । चुनाव के समय इन्हें पता होता है कि चाहे जितने मर्जी बांध बना लो, सड़के बनवा दो। पानी दे दो  । बत्ती दे दो। पर लोग वोट उसी को देंगे जो बोतल देगा । जाओ  बनाओ ना… बांध । बनाओ ना .. सड़कें। जमानत जब्त हो.. जाएगी। मैं कहता हूँ जमानत जब्त हो जाएगी।  मैं तो कहता हूँ कि अगर कोई प्रोगेसिव पार्टी हो तो उसे अपना चुनाव चिन्ह बोतल रखना चाहिए। हम  सब उसी पार्टी में चले जाएंगे।  उस पार्टी को अपना घोषणापत्र में ऐसे मुद्दे रखने चाहिए (1) दारू की आऩ लाईन व्यवस्था करेंगे (2) दारू पर सब्सिडी देगें। (3) हर त्यौहार पर एक हफ्ते तक बोतल रोज फ्री मिलेगी।4 दफ्तरों में शराब एलाऊंस मिलेगा। (5) दारू पीने पर लड़ने वाली पत्नियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी । (6)  दारू पीकर गाली देने को अभिव्यक्ति का अधिकार माना जाएगा। 6) इधर - उधर गिर जाने पर कपडे़ सरकार फ्री मे धुलवा कर देगी। (7) हमारे खिलाफ मारपीट और छेड़छाड़ के सारे मामले वापस लिए जाएं। मैं पूछता हूँ क्या हम देश की जनता नहीं हैं ? यह करोड़ों लोगो की मांग है।  अगर आप गलत -सही मुद्दों पर सब्सिडी दे सकते हैं तो दारू का मामला तो सबसे जैन्युन है माई डियर पोलिटिकल पार्टी।  कार्यकर्ता पहले पैग लगाएंगे फिर जनता के पास जाएंगे । तभी तो दिल की सच्ची बाते ंकरेंगे । सच में राम राज्य आ जाएगा। वेहर शराब ..नो हाइपोक्रेसी। दिल की बात। 

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