शिवरात्रि की शुभकामनाएँ- आज फीजी में शिवरात्रि है। शिवरात्रि यहां बहुत धूम धाम से मनायी जाती है। बाकी लोगों की तरह मेरा भी पहला संपर्क शिव से रामकथा के माध्यम से आया आता है । रामकथा में हम पाते हैं कि रावण पर शिव की विशेष कृपा है। रावण ने अपने शीश शिव को चढाने का उपक्रम किया था। राम भी युद्द से पूर्व शिवलिंग की स्थापना और पूजा करते है। राम शक्ति की उपासना करते हुए अपने नेत्र को देने को तैयार होते हैं चूंकि मां उन्हें कमल नयन कहती थी । इस पर निराला की शानदार कविता ' राम की शक्ति पूजा' गूंजती रहती है। उस कविता की एक पंक्ति जिसकी और ध्यान जाता है , जब राम की पूजा मे एक कमल कम रह जाता है और उनकी परीक्षा लेने के लिए उसे छुपा दिया जाता है। पंक्ति है- अन्याय जिधर है उधर शक्ति। याने शिव और शक्ति के रावण की तरफ होने पर राम का उलाहना है। यहां तक राम को अपनी विजय पर संशय हो जता है। सोचते रहे कि क्या और क्यों शिव रावण की तरफ है। उतने राम की तरफ नहीं दिखाई देते । रावण का शिवभक्ति स्तोत्र भी प्रसिद्ध है। पर फिर ध्यान में आता है कि शिव शुभ -अशुभ , न्याय -अन्याय से ऊपर दिखाई देते हैं। वे किसी कारण मे नहीं बंधते हैं। बल्कि शायद उनको उसी प्रकार भगवान रूप में जाना जाता है जो किसी तर्क के परे हैं। जहा पर सब तर्क समाप्त हो जाते है।
लोक जीवन मे जिस तरह से राम और कृष्ण की कथाएं रची -बसी है और पारिवारिक व सामाजिक जीवन में इस्तेमाल की जाती हैं वैसा शिव के साथ नहीं है। राम मर्यादा पुरूषोतम हैं , सीधे समझ में आते हैं। शिव के प्रतीक सामान्य प्रतीक नहीं है- जटा, चंद्रमा, नाग, भभूत, गण , नंदी । सामान्य जीवन से इतर ।
शिव के स्थान कैलाश का एक अर्थ स्थिरता का द्योतक है । याने परिस्थितियों से अलग उठे हुए । बैरागी। हानि -लाभ, शुभ -अशुभ , ज्ञान -अज्ञान ,अच्छा -बुरा इस सबके पार । क्योकि शायद यह भी मानव निर्मित धारणाएं और ईश्वर इनसे अलग है ,ऊपर है। आखिर देवताओ के राजा इंद्र के भी पतन की कई कहानियां है । तो देव -दानव का भेद भी सीधे -सीधे अच्छे- बुरे का भेद नहीं है।
शिव का एक रूप अर्धनारीश्वर का है । याने स्त्री -पुरूष भेद भी औरों के लिए हैं। शिव तो उससे मुक्त हैं। उसमें तो दोनों निहित हैं।
भारतीय त्यौहारों की प्रतीकात्मकता और वैज्ञानिकता उसकी विशेषता है। इसलिए शिव रात्रि पर अमावस्या से एक दिन पहले रात्रि में ऊर्जा की प्राप्ति का सर्वोतम समय माना गया है। यह बात भी शिव के व्यक्तित्व से मिलती है । रात्रि में ऊर्जा और शक्ति का आह्वान । आइए इस पर्व के माध्यम से विराट, अद्भुत , कारणों से परे , तर्क से आगे भारतीय सभ्यता की इस विशिष्ट विभूति को नमन करें और उस विराट ऊर्जा के एक अंश को ग्रहण करने का प्रयास करें।
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