| प्रार्थना
उसने सिर्फ आंखे नहीं दी दृष्टि भी दी चारों तरफ अंधकार दिया तो ह्रदय में दे दिया मणि का प्रकाश डसने को थी अंधेरी सर्पीली घाटियां, खाईया , सुरंग तो दे दिया बाहे फैलाए अनंत आकाश इधर दी बाधाएं, चुनौतिया डगमगाने को तो उधर दे दिए शुभ संकल्प, संभावनाओं को टटोलता बेपनाह आत्मविश्वास
दस रास्ते बंद हुए तो सौ द्वार खोले हर सह्रदयी चेतना से तुम ही बोले
जीवन के थपेड़े दिए , हालात की लहरों का गर्जन,मझधार, भवरें अनेक तो पकड़ा दिया चप्पू सही- गलत का विवेक
अबूझ संसार दिया तो दे दिए शब्दों के मंत्र
कैसी –कैसी कठिन परीक्षाओं में डाला फिर खुद ही निकाला
हम तुमसे शिकायत करते रहे लड़ते रहे तुम हँसते रहे यूं ही हमें हमारी बेहतरी के लिए गढ़ते रहे
तुम ऐसे हो ,वैसे हो ,जैसे हो मुझे पता नहीं कहां हो ,कैसे हो लोगो ने तुम्हें महान और भगवान बताया मैं तो इतना जानता हूं हर नकारात्मकता और निराशा के बावजूद तुमने मुझे जीवन के प्रति आस्थावान बनाया
प्रभु -हर तरफ आंसू है ,चीख है जिंदगी की एक - एक बूंद के लिए इंसान गिडगिड़ाता मांगता भीख है बीमारी है ,लाचारी है, महामारी है बस प्रार्थना इतनी ही है जैसे मेरे हो ,वैसे सबके हो प्रभु
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