शनिवार, 1 जनवरी 2022

प्रार्थना

 

प्रार्थना 

उसने सिर्फ आंखे नहीं दी
दृष्टि भी दी
चारों तरफ अंधकार दिया
तो ह्रदय में दे दिया मणि का प्रकाश
डसने को थी

अंधेरी सर्पीली घाटियां, खाईया , सुरंग
तो दे दिया बाहे फैलाए

 अनंत आकाश
 
इधर दी बाधाएंचुनौतिया

डगमगाने को

तो उधर दे दिए शुभ संकल्प,
संभावनाओं को टटोलता  बेपनाह आत्मविश्वास

दस रास्ते बंद हुए
तो सौ द्वार खोले
हर सह्रदयी चेतना से तुम ही बोले

जीवन के थपेड़े दिए ,
हालात की लहरों का गर्जन,मझधारभवरें अनेक
तो पकड़ा दिया चप्पू
सही- गलत का विवेक

अबूझ संसार दिया
तो दे दिए शब्दों के मंत्र

कैसी कैसी कठिन परीक्षाओं में डाला
फिर  खुद ही निकाला

हम तुमसे शिकायत करते रहे
लड़ते रहे
 
तुम हँसते रहे
यूं ही हमें हमारी बेहतरी के लिए गढ़ते रहे

तुम ऐसे हो ,वैसे हो ,जैसे हो


मुझे पता नहीं कहां हो ,कैसे हो
लोगो ने तुम्हें महान और भगवान बताया
मैं तो इतना जानता हूं
 
हर नकारात्मकता और निराशा के बावजूद
तुमने मुझे
जीवन के प्रति आस्थावान बनाया

 
प्रभु -हर तरफ आंसू है ,चीख है
जिंदगी की एक - एक बूंद के लिए
इंसान गिडगिड़ाता मांगता भीख है
बीमारी है ,लाचारी हैमहामारी है
बस प्रार्थना इतनी ही है
जैसे मेरे हो ,वैसे सबके हो प्रभु

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