फीजी में दीपावली
एक छोटे से दिए की ताकत
ना तलवार, हथियार
ना ताकत , ना अधिकार
एक पोटली,
यही तो थी, जब वो चले थे
सात समुद्र पार, एक सपने को पाने
साथ मे बस
तुलसी के तेल से जलता …अविराम
गोरा मुस्कराया
उसकी कुटिल नजरें देख
उस दीप को सीने से चिपकाया
तूफानी हवा के थपेड़े
आकाश को चूमती लहरें
डरावनी प्रभात, प्रलय की याद दिलाती झंझावात, काली- घनी अधिंयारी रात
रिश्ते बन गए स्मृतियां
माता - पिता, प्रेम , घर, चौबारा
पीछे के दृश्य धीरे - धीरे गए खो
केवल जलती रही
गोरे का अहंकार था
जालिम सरदार था
बेनामी थी
गुलामी थी
जलालत थी
पीड़ा ,आंसू . गहरी अंधियारी सुरंग
बस एक टिमिटिमाता दीप
कहता था
देखो अंत में बजता है सत्य का डंका
कितनी ही वैभवशाली हो
जल ही जाती है, सोने की लंका
रावण का आसुरी शक्ति, दस सिर होने का अहंकार अंततोगत्वा बेकार जाता है
एक छोटे से दीपक के आगे
घनी रात का अंधेरा आखिर हार जाता है
दीपक अनंत ऊर्जा का स्रोत इसलिए है
दीपक अनंत ऊर्जा का स्रोत इसलिए है
कि वह भी तो आखिरकार सूर्य का पुत्र है..
सच्चाई तो यह है कि जीवन संघर्ष में -भीतर - बाहर का प्रकाश ही जीत का सूत्र है.
सच्चाई तो यह है कि जीवन संघर्ष में -भीतर - बाहर का प्रकाश ही जीत का सूत्र है.
जीवन भर उस टिमटिमाते दीप से ही
पाते रहे दिशा
उसके सहारे ही कट गई जिंदगी की काली अंधियारी निशा
अंधियारे से की जिंदगी भर लड़ाई
और
जब आखिरी बेला आई ,
यही विरासत बच्चों को पकड़ाई
एक नाम
एक देश
वो शब्द.. जिसमें सांस्कृतिक इतिहास कसमासाता है
वो… जो रामनाम की लौ से जगमगाता है
वही… जो पहचान है
वही… जिसकी वजह से
लोग कहते हैं कि देखो… ये संस्कृति महान है
एक दृष्टि….
जिसमें समायी है… पूरी सृष्टि
सात समुद्र पार
गुजर गए साल.., दशक .., सदी..
आज भी बह रही है, तुलसी के स्रोत से निकली , वही… संस्कारों की नदी
जल रहा है… जलता रहेगा… गर्व और गौरव के साथ
अनंत प्रकाश से भरा
वही छोटा सा दिया
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएं